जिले जरा
जिले जरा
क्यों तू आज खामोश है, इस दुनिया से अनजान है।
ख़ामोशी में गम है, गम मे तोह सारी दुनिया है।
इसी दुनिया की तू है, लेकिन तुझमे ही सारी दुनिया है।
जब तू ये जानलेगी टब तू ना खामोश रहेगी,
जीने लगेगी हर एक पल, तोह हर एक पल जी लेगी।
छोड़ दे सारी फिक्र तू, इसी पल में जिले तू।
देख तोह कितनी हसीं है दुनिया आज,
कितने खुश है लोग यहाँ।
बस तू ही थी खामोश वहाँ,
देख कितने मदहोश है लोग यहाँ।
तू भी होजा मदहोश, ख़ुल के जिले हर रोज।
आजसे छोड़ सारी फिक्र तू, इसी पल से जिले तू।
दुनिया तोह चलती रहेगी, लेकिन ज़िन्दगी ख़त्म होगी।
यूँ ख़त्म ना कर इस मदहोशी को ख़ामोशी से।
छोड़ ही दे तू फिक्र को, जिले तू हर एक पल को।
