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Ravi Shah Innocent

Abstract

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Ravi Shah Innocent

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जीवन की इस दौड़ में

जीवन की इस दौड़ में

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जीवन की इस दौड़ में ,

संघर्ष की कोई सीमा नहीं,

मिले हे कई धोखे यहाँ,

कई मरतबा गिरा हूँ में,

अजीब कश्मकश में हूँ आज,


सोचा था, ना होंगी मुसीबतें कभी जीवन में,

हर मुश्किल को हल किया,

बस यही सोच के, कि यह आख़री है,


किन्तु ये हो ना सका,

मैं कल भी मुश्किलों से घिरा था और आज भी,

अब थका और ठगा सा महसूस हो रहा है,

मेरे अपनों ने ठेंगा है मुझे,

देके वास्ता ज़िम्मेदारियों का,


और ज़िम्मेदारियों ने थकाया है मुझे, 

देके वास्ता मेरे अपनों का !


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