जीत की पुकार
जीत की पुकार
मानव पर महामारी छाई,
देश हित की बारी आई,
लॉक डाउन से रुक गए राही,
बंद पड़ी है आवाजाही।
बाहर जाकर करना कांई,
चारों तरफ महामारी छाई,
घर में रुक जा समझदार सांई,
इसी में है अपनी भलाई।
बाहर से आये जो भी भाई,
क्वारंटाइन हो चौदह दिन तांई,
बार बार करो हाथ धुलाई,
इसी उपाय ने जान बचाई।
खांची, जुकाम या हो अंगड़ाई,
कोरोना के दे लक्षण दिखाई,
स्थानीय प्रशासन को दो बताई,
इसमें मत करना ढिलाई।
भारत करे भरपूर भलाई,
विश्व पटल पर विजन चलाई,
विदेशों में दवा पहुंचाई,
मानवता की राह दिखाई।
अर्थवयवस्था पर आंच आई,
वित्तमंत्री सुधार ले आई,
उद्योगों में आस जगाई,
मजदूरों को राहत पहुंचाई।
केंद्र सरकार ने मुहिम चलाई,
राज्य सरकारों ने आगे बढ़ाई,
जिलाधीशों ने हिम्मत दिखाई,
कर्मचारियों ने अलख जगाई।
स्थानीय जनता आगे आई,
जागरूकता की जोत जलाई।
सामाजिक संगठन भी करे भलाई,
जरूरतमंदों को राहत पहुंचाई।
भामाशाहों ने मुहिम चलाई,
भूखा न सोए कोई भाई।
जीताराम ने कलम चलाई,
जन जन तक पुकार पहुंचाई।
