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Nitesh Garg

Abstract

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Nitesh Garg

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जीत जाएगा इंडिया

जीत जाएगा इंडिया

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आज वक़्त थोड़ा सा नाज़ुक है

हालात थोड़े से खराब है

हर तरफ मौत मंडरा रही है

चारों तरफ बीमारी सर उठा रही है

ज़िन्दगी हार रही है मौत जीत रही है


पर दुखों के इस माहौल में,

बहुत कुछ अच्छा भी है

प्रकृति में सुकून छाया है

नदियों का पानी साफ हो अाया है

हवा भी निर्मल बहने लगी है

गाडियां कम चलने लगी है

प्यार बढ़ने लगा है


जो परिवार कभी दूर रहते थे

वो पुरानी यादों संग अब पास है

वो कैरम खेलना वो लूडो में हारना

वो भाई का भाई से लड़ना

साथ मिलकर सबका खाना खाना

आज हर तरफ है पुराना जमाना


फिर से हम सब रामायण देख रहे है

मिलकर हम महाभारात को जी रहे है

सब अपनी संस्कृति सीख रहे है

भूल गए थे जिन रित रिवाजों को

आज हर उस भूल को सुधार रहे है


ये वक़्त भी कट जाएगा 

फिर से एक नया दौर आएगा

इस बीमारी को भी हम हराएंगे

मिलकर फिर से भारत को जिताएंगे

सब साथ मिलकर लड़ जाएंगे

सब साथ मिलकर ही मुस्कुराएंगे


फिर से खुशियों को हमें बुलाना है

हर अपने का साथ निभाना है

भाई से भाई को मिलाना है

अपनापन अब सबको सिखाना है


ज़िन्दगी को पटरी पर लाना है

वक़्त के पहिए को फिर से घुमाना है

भारत को फिर से हमें जीताना है 

फिर से सबको साथ मुस्कुराना है।


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