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सुरशक्ति गुप्ता

Abstract

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सुरशक्ति गुप्ता

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झूठी बातें

झूठी बातें

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झूठी बातों का जमाना है

मुक्तक का यही तराना है


कभी हल्का तो कभी पड़ा

किसी पर भारी

अब छूट गई दुनियादारी।


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