Prakash Bisht

Inspirational

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Prakash Bisht

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जारी रख सफर अभी नहीं हुई पहर

जारी रख सफर अभी नहीं हुई पहर

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अभी सफर जारी रख अभी नहीं आई तेरी बारी है

पंख फैला आसमान में झुका इसे अब तेरी बारी है।


हौसलों को एक नाम दे कर्मों से इस जीवन को पहचान दे।

छोड़ असफलता के पीछे रोना जो हो गया जो था होना


आगे बढ़ शीश उठा देख समझ इस दुनिया के रहस्य को

तू देख तू आगे बढ़ता जायेगा जिस देख सबको जलना आएगा।


छोड़ इस जलन को निकाल दे उस जलन को जो जलाती है किसी का घर।

सब्र का साथ मत छोड़ आगे की राह टोह।


जनता आयेगी और तुझे समझेगी और सुनेगी

तुझ में मिलने की कोशिश कर अपना तानाबाना बुनेगी।


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