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Khem Raj Sharma

Classics

4  

Khem Raj Sharma

Classics

इस दौर के बाद!

इस दौर के बाद!

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होगा अवसान 

इस दौर का भी

पीछे छूट जाएंगे कुछ

अवशेष

वे होंगे विशेष

देंगे वे गवाही


हमारी उस लाचारी की

जो दिखती नहीं

दंभ की खुमारी में

लाचारी का दंश

करेगा फिर संप्रषण

आचार विचार व्यवहार में


बदलाव का

उचट जाएगा झट क्योंकि

घट यह दंभ के

ठहराव का

आज ठहर गई

जिंदगी


थम गई रफ्तार

सिमट कर कशमशा रहे

चाररदीवारी में

सब सरोकार

अकर्मणयता का यह अवसर नहीं

नहीं माननी हार


ऊर्जा संग्रहित करने का

इस वक्त निभाना है संकार

यही काम कल आएगी

जंग वजूद की जीत कर

जब जाना होगा


लॉकडाउन की देहरी पार

अर्थव्यवथा के अस् थि पंजर में

जाग उठेगा हर पुरजा

जान जज्बे से जब फूंकेगी

यही संग्रहित ऊर्जा।


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