इंकलाब के दीवाने
इंकलाब के दीवाने
वह घड़ी थी अशुभ सायं 7:30 की।
बलिदान दे दिया अपना तीनो ने
करते हुए रक्षा भारत मात्र की ।।
वे थे वीर भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव ।
जिनके आगे दिया था अंग्रेजों ने भी माथा टेक।।
देख वीरता, इंकलाब के इन दीवानों की।
हवा निकल गई थी उस अंग्रेजी हुकूमत की।।
पर अपने ही निकले पराय थे,
चाहते तो रुकवा सकते थे ,
फांसी इन मां भारती के सपूतों की।
पर वह बने रहे बापू उस अंग्रेजी हुकूमत की।।
रहेंगे हम सदा कर्जदार,इंकलाब के इन दीवानों के।
जो शहीद हो गए पर झुके नहीं, जैसे झुक गए बापू उन सिगार वालों के ।।