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Dr. Akansha Rupa chachra

Abstract

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Dr. Akansha Rupa chachra

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हसीन लम्हे

हसीन लम्हे

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वीरानों में कभी यादों को टटोल कर देखा

अपने आप को यादों की गठरी मे फरोल कर देखा

उम्मीद की चादर को जब ओढ़ा दिल के जज्बातों को

झंझोर कर देखा।

दूर स्मृतियों के गाँव से हम वीरानों की दलानो पर

खडे़ थे।

हिचकी चाहत की आई।

मुसकुराहटो ने हमें छूकर

हौले से बोला दिल में रहने वाले •••••

यादों की डगर पर चलते हैं।

थाम लो बीते लम्हों की खुशियों को

प्यार करने वाले कभी हारा नहीं करते।

अपना सब न्यौछावर कर , दिल हार कर पाया है

जिसे उसकी यादों को भी रूसवा नहीं करते।

पलकों को बंद करके स्वप्न लोक मे रहने वालों के लिए 

अश्रु रूपी मोती छलकाना लाजमी नहीं।

उनकी यादों के सुखद अहसास को दिल में रखा करते हैं।

गुलाबों की तरह।



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