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Pratibha Dwivedi

Abstract

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Pratibha Dwivedi

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होली

होली

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जब दिल में थोड़ी हुड़दंग मचे

मन शरारतों से दबंग रहे

तो समझो आई होली रे

नई कोंपलें तरूवर सजाने लगें


पतझड़ के दिन जाने लगें

तो समझो आई होली रे

जब कोयल मल्हारें गाने लगे

बहारों से फिजां लहराने लगे


तो समझो आई होली रे

जब प्यार में मान-मनुहार चले

साजन-सजनी के दिल में प्यार जगे

तो समझो आई होली रे


जब पायल के घुँघरू संगीत सजाने लगें

मन आलिंगन के गीत गाने लगे

तो समझो आई होली रे

जब मन स्पर्श से पुलकित होने लगे


और बाँहों में सजनी खुश होने लगे

तो समझो आई होली रे

जब प्रीत प्यार परवान चढ़ें

और ईर्ष्या द्वेश पिघलने लगें


तो समझो आई होली रे

मन मयूर जब नाँच उठे

और रंगों की बौछार उठे


तो समझो आई होली रे

तो समझो आई होली रे।


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