हमने जीना सीख लिया
हमने जीना सीख लिया
हमने जीना सीख लिया !
जीवन की इस ढ़लती बेला में,
हमने जीना सीख लिया ॥
क्या करें माली अगर सब फूल ही चाहे,
ये सोचकर हमने काँटों को चुनना सीख लिया ॥
ताउम्र भर बहलाते रहे, नादान मन को अपने,
आईना जो देखा, सच अपनाना सीख लिया ॥
दौड़ रहे थे जीवन भर ,मृग तृष्णा के पीछे-पीछे ,
भूख आकुल कोई देखा, प्यासा रहना सीख लिया ॥
थक गये थे ढूंढते ढूंढते तुझे , मंदिरों की चौखटों पर,
बच्चों की मुस्कान में, तुझको पाना सीख लिया ॥
हाँ माना जीवन में , पाईं नहीं ऊँचाइयाँ हमने
नाकामियों में ही सही , हमने जीना सीख लिया ॥
आहत हो जाते थे कभी -कभी,कटाक्ष के शर बाणों से ,
अंगारों की आग में अब , तपना हमने सीख लिया ॥
छल और कपट के जाल में , ढूँढें कहाँ अब प्रेम हम,
फूंक कर रखना कदम ,ठोकर खाकर सीख लिया ॥
पाया हमने इस दुनिया को ,अपनों से धोखा करते हुए,
सच झूठ की इन गलियों में ,रिश्ते निभाना सीख लिया ॥
चलना अभी बाकी है, मंजिल का भी नहीं पता,
गर ‘माझी’ साथ दे तो जोड़ देंगे किनारा ,
जिद्द पकड ली है हमने, पार कर ही जाएंगे
ड़रे क्यों, हार माने क्यों,
गुजर जाएंगे ये पल भी, है भरम इतना है हमें,
दिख जाती है किरण, गर नज़र साफ हो,
मिलता है वही, जो हमने दुनिया को दिया,
विश्वास है हमें , रंग लायेगी हर तपिश ,
डूबेगा सितारा ,हर अंधेरी रात का,
फल देगी वह दुआ , निकली हो जो गहराई से ,
जिंदगी का पाठ हमने जिंदगी से सीख लिया!!!!
जीवन की ढलती बेला में , हमने जीना सीख लिया ॥
