इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
होली के है रंग हज़ार,
झूम झूम नाचे संसार,
रोम रोम गाजे त्योहार,
रंगों से पुलकी वसुंधरा,
मंद मंद बहे बयार,
बागों में डोले झूले,
गाएँ भौंरे पवन गुंजार,
फागुन में बसन्त का आना
धरा उतरे सोलह सिंगार!
लाल पीला रंग बसन्ती,
नीला हरा अबीर चम्पई
रंगों की आई बहार ,
गुँध गई माला फूलों की,
पृथ्वी ने ओढ़ा ऋतु श्रृंगार!
होली के है रंग हज़ार!
ए सखी आ खेलें आज हम होली,
इंद्रधनुष की मतवाली होली
मन हो शिवाला, मन हो पूजा,
न हो द्वेष न हो ईर्ष्या,
तज कर सब मन के विकार
सौहार्द प्रेम का दिया जलाएं,
भर रंग अनुराग का अबीर में,
प्रेम की ग़ज़ब पिचकारी मारें,
बहे मधुर राग इस होली में,
प्रणय स्वर का मंत्र जगाएँ,
भूल सब भेद भाव जगत के,
ऐसे सबको कंठ लगाएँ,
हर एक अधर पर हो मुस्कान,
ऐसा इक रंग आज मिलाएं
मिल जाए रंगों की टोली,
सखी आ खेलें ऐसी होली !
