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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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हम तुम

हम तुम

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अब न हम हम हैं

न ही तुम तुम हो,

हम ही तुम हो 

तुम ही हम हैं।

यानी हम तुम

तुम हम हो

बस यही तो खास है,

हमारे साथ तुम हो

हम तुम्हारे साथ हैं।

अनजान से रिश्ता जुड़ा

दिल का संबंध बना,

फिर अटूट हो चला,

और आज तुमसे

दूर होने का डर भी

हमेशा सताने लगा।

तुम्हें भी शिकायतें बहुत हैं

मगर मेरी चिंता में तुम्हारा डूबना, 

चेहरे पर हवाइयां उड़ना

संबंधों का इतिहास कहने लगा।

सच है यार ये रिश्ता भी

कितना अजीब है हमारा तुम्हारा

न हम तुम्हें जान रहे थे

न तुम्हारे अपनों को,

यही हाल तुम्हारा भी था,

पर आज अपने दूर हो गए,

और जो दूर, बहुत दूर था

वो सबसे करीब हो गया,

जन्म जन्मांतर का संबंध

हमारा तुम्हारा हो गया

जीवन सफल हो गया। 



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