हम जहाँ रहते हैं
हम जहाँ रहते हैं
हम जहाँ रहते हैं वहां इंसान की नहीं
उसके रुत्बे की कदर की जाती है,
वहां ज़िंदा आदमी की तो नहीं
पर कईं मुर्दों की खैरियत पूछी जाती है,
वहां तस्वीरें उन यादों के लिए नहीं
बस दुनिया को दिखाने के लिए खींचीं जाती हैं,
वहां हुनर तो केवल एक शब्द है
क्योंकि बिना हुनर भी जिसका नाम हो
सिर्फ उसी की तो पहचान की जाती है,
वहां खूबसूरती तो सबको भाती है
पर क्या करें केवल अमीरों के चेहरों पर नज़र आती है,
क्योंकि हम वहां रहते हैं;
जहाँ ज़िन्दगी खुद के सुकून के लिए नहीं
बल्कि एक दूसरे को हराने के लिए जी जाती है।
