ढलता हुआ सूरज
ढलता हुआ सूरज


जाने क्यों ढलता हुआ सूरज
सुकून दे जाता है,
ज़िंदगी के जीने को एक नया
सुरूर दे जाता है,
कुछ बिखरे हुए सपनों को जोड़ने
की चाह और,
किसी खोए हुए को ढूंढने का जुनून
दे जाता है,
जहां से हट कर नया करने की
सलाह दे जाता है,
इन टिमटिमाते तारों का इक
आसमां दे जाता है,
यादों में ढलकर ख़ुशियों की
मुस्कान दे जाता है।
कभी टूटते तारों का फरमान, कभी
चाँदनी रात का प्रमाण दे जाता है,
यह ढलता हुआ सूरज जहां इक पुराने
सफर का आखिरी पड़ाव दे जाता है,
वहीं इक नए सफर का चुनाव भी दे जाता है,
ख़ुशियों की सरद हवाओं में गमों की
गरमाहट को समेट जाता है।
उदासी भरे चेहरों पर मुस्कुराहटों के
फूल दे जाता है,
थकी हुई आँखों को राहत के दो पल
दे जाता है,
यह ढलता हुआ सूरज इक नए सवेरे की
आशा दे जाता है,
ज़िंदगी के अगले पन्ने को भरने का
रहस्य दे जाता है,
पुराने पन्नों पर छाए दर्द को मिटाकर
आगे बढ़ने की हिम्मत दे जाता है,
कभी दिल टूटने का सन्नाटा तो
कभी नए प्यार का एहसास दे जाता है।
सिर्फ एक ढलता हुआ सूरज इतनी
सारी उम्मीदों का आगाज़ दे जाता है।
न जाने क्यों पर यही ढलता हुआ सूरज
इक अजीब सा एहसास दे जाता है,
इक अलग सा सुकून दे जाता है. .