हकीकत
हकीकत
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उम्मीद ही नहीं थी कुछ पाने की
कुछ ना भी मिला तो क्या हुआ।
खुशी पाने की जिद्द ज़रूरी है मुझे
मुस्कान भी ना मिली तो क्या हुआ।
चार लोग ही चाहिए जनाब
कांधा देने के लिए भी
और गम बाटने के लिए भी।।
उम्मीद ही नहीं थी कुछ पाने की
कुछ ना भी मिला तो क्या हुआ।
खुशी पाने की जिद्द ज़रूरी है मुझे
मुस्कान भी ना मिली तो क्या हुआ।
चार लोग ही चाहिए जनाब
कांधा देने के लिए भी
और गम बाटने के लिए भी।।