आज़ादी
आज़ादी
तुमने जन्म लिया खुली फिजा में
दर्द क्या जानो पिंजरे का।
लिखते हो तुम अपने मन का
कहते हो जो दिल में आता
दर्द क्या जानो स्वर रहते मूक बनने का
करते हो तुम केंडल मार्च
रोष खूब जताते हो
बुरा जो लगे तुम्हे
इंटरनेट पे बवाल मचाते हो
तुम दर्द क्या जानो लाला लाजपत
पे पड़े डंडो का।
हे नवदीपक भारत मां के
पढ़ो जानो और समझो
आज़ाद,भगत, बोस जैसे मतवालों को,
त्याग और समर्पण देखो
खुदीराम,तिलक,सावरकर का,
देखो और वीर रस पहचानो
कुंवर ,लक्ष्मीबाई, टोपे
जैसे दिलेरों से ।
भूलो मत आज़ादी के वीरों को
भूलो मत शूरवीरों के त्याग को
भूलो मत आज़ादी के मूल्यों को!