हिंदी मेरा अभिमान
हिंदी मेरा अभिमान
हिंदी मेरी आन है, हिंदी मेरी शान है
सरस्वती का दिया हुआ, अद्भुत ये वरदान है
हिन्द की गौरवगाथा है, ये कवियों के प्राण हैं
माँ की ममता सी प्यारी, ये भारत की जान है
हिंदी मेरा अभिमान है
अनेकता में एकता की, परंपरा का ज्ञान है
प्रांतों को जोड़े रखती सबकी यह मुस्कान है
जिसके बिना हिन्द रुक जाए, ऐसा गौरवगान है
हर काल को जिसने जीत लिया ऐसा सुगम उत्थान है
हिंदी मेरा अभिमान है
इसमें पंत की कोमलता है, जयशंकर का प्रसाद है
दिनकर का इसमें ओज है शामिल, जायसी की तान है
महादेवी का दर्द भरा, सुभद्रा की शक्ति का भान है
मीरा की इसमें भक्ति बसी, तुलसी की ये प्राण है
हिंदी मेरा अभिमान है
हिंदी से ही हिन्द बना है
हिंदी से हिंदुस्तान है
आओ इससे प्रेम करें हम
यही हमारी शान है
हिंदी मेरा अभिमान है।
