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Kumar Kishan

Abstract

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Kumar Kishan

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हिंदी है मेरी माँ

हिंदी है मेरी माँ

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हिंदी है मेरी माँ

इस पर क्यों ना गर्व करूँ?

जिस भाषा में सपनें देखता हूँ

उस भाषा को क्यों ना आत्मसात करूँ

हिंदी तो है भारत की बिंदी

इसमे कोई संशय नहीं

इसे अपनाकर हम बन सकते हैं विद्वान

इसमें कोई संशय नहीं

नमन करता हूँ....

हिंदी भाषा को यह उन्नति करते रहे

आओ यह संकल्प करें

इस भाषा से सदा हम बंधे रहें!


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