हिम्मत
हिम्मत
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मैं रुक जाऊँ ये चाह नहीं हिम्मत बाटूँ मैं राह वहीं
ये तकलीफों के पहाड़ों से मुझे खुशियों के झरने निकालने है
ना डरना अब मुसीबत से..
लड़ के उससे मुझे मंज़िल को अपनी पाना है
मैं रुक जाऊँ ये चाह नहीं हिम्मत बाटूँ मैं राह वहीं
झुकना है अगर तो झुकेगा वो दर्द
सीख लिया अब तो खुद को संभालना
अब तो नहीं झुकेगा ये सर.....
मैं रुक जाऊँ ये चाह नहीं हिम्मत बाटूँ में राह वहीं....