हे सूर्य, तुझे नमन
हे सूर्य, तुझे नमन
स्वर्णालंकारीत किरणों के रथ पर अग्रसर,
इस सृष्टी में सब के अंतर्मन पर,
बिंब अपना उकेरने को तत्पर,
हे प्रकृति, तुझे नमन..!
सुबह, माँ की ममता सी जगाती,
अंधकार से प्रकाश की ओर जाने तो हर क्षण,
बिजों को अंकुरीत करने को तत्पर,
हे सूर्य, तुझे नमन..!
भरी दोपहरी, उष्मा का संचार है करती,
समृद्धि का मुकुट, सब के सर पर,
हरदम लाकर रखने को तत्पर,
हे सूर्य, तुझे नमन..!
गोधूलि पर, रक्त चंदन सा टिका लगाती,
पंछी उड़े पश्चिम को घर पर,
क्षुधा सब की बुझाने को तत्पर,
हे सूर्य, तुझे नमन..!
हे सूर्य, तुझे नमन..!!