हार नहीं मानेंगे
हार नहीं मानेंगे
कितनी ही आएंँ बाधाएंँ, हार नहीं हम मानेंगे
जब तक जंग नहीं जीतें,विश्राम की ना ठानेंगे।
अनुपम शक्ति,अदम्य साहस,है अपनी पहचान
विपदाएंँ हारेंगीं सब, अपना लोहा मानेंगे।।
पहले भी कितने तूफांँ, आए और आकर चले गए
बुद्धि,बल और हिम्मत के,आगे वो झुक कर चले गए।
दुश्मन चाहे अदृश्य हो, चाहे वो नापाक हो
घुटने टेके हैं सब ने, सब मुंँह की खाकर चले गए।।
इक अदना सा वायरस हमको, सीख बहुत दे जाएगा
अब तक जो थी कमियांँ उनको, दोहराया ना जाएगा।
पहले भी कितनी बीमारी, हमने दूर भगाई हैं
खुद संभलेंगे औरों को भी, भारत राह दिखाएगा।।
