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Sugendha Jain

Romance

4.6  

Sugendha Jain

Romance

गुमशुदा

गुमशुदा

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यह कुछ धुआं धुआं सा है।।

 यह कुछ नया नया सा है।।


गुजर रही है जिंदगी

कुछ टिक टिक की तरह,

रात हो या दिन बस यही

सूना सूना सा है, 


मेरी आंखों में देखकर

पता करते हैं वो,,

मेरी जिंदगी में क्या कुछ

नशा नशा सा है,


दिल पर दस्तक देते हैं यह लम्हे 

हमें पता है यहां कोई गुमशुदा सा है,

ये कुछ हुआ धुआं सा है......


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