ख्वाहिश
ख्वाहिश
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कुछ जख्म बहुत है दिखाने को
कुछ दर्द बहुत है बताने को
कहना सुनना सब अधूरा सा है
कुछ रिश्ते जो है बचाने को
क्यों करते हैं गलतियां हम
यह हम होते हैं या हमारे हालात
कुछ सिसकियां है बह जाने को
कुछ जख्म बहुत है बताने को.....
कब बने कब बिगड़ गए
यह छोटे छोटे से प्यार भरे रिश्ते
आज वक्त है कुछ बिगड़ा हुआ सुधार जाने को।।
कुछ जख्म बहुत है दिखाने को
कुछ दर्द बहुत है सुनाने को....
