गजल-1
गजल-1


हो गए हैं शहीद जो वतन के लिए।
उठ रहे हाथ सबके नमन के लिए।।
आँख चढ़ जायेगी जिस घड़ी हिंद की।
वो बिलखने लगेंगे कफन के लिए।।
देश भारत जहां मेंं शान्ति का दूत है।
प्राण सबके न्योछावर अमन के लिए।।
थे हमारे शहीद इस चमन के जिगर।
कर दिये जान अर्पण वतन के लिए।।
नाज़ अपने सपूतों पर है इस कदर।
जीत सकना उसे है सपन के लिए।।
माँग धोयी हैं बहने कुछ फिकर भी नहीं।
भेजती दुश्मनों के दफन के लिए।।
खून लेने को जाते सभी बागवां।
खिल सके फूल कलियाँ चमन के लिए।।
तोड़ देते कभी जो बढ़ाता कदम।
हैं खड़े दुश्मनों के दलन के लिए।।
हम सभी सिर झुकाये खड़े हैं मयंक।
जान देकर गये जो वतन के लिए।।