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कैद घर में रहा करती थी सदा। गाड़ियाँ अब उड़ाती हैं तितलियाँ।। कैद घर में रहा करती थी सदा। गाड़ियाँ अब उड़ाती हैं तितलियाँ।।
जीव - जन्तु पेड़ - पौधे की कमी अब हो रही। जीव - जन्तु पेड़ - पौधे की कमी अब हो रही।
थे हमारे शहीद इस चमन के जिगर। कर दिये जान अर्पण वतन के लिए।। थे हमारे शहीद इस चमन के जिगर। कर दिये जान अर्पण वतन के लिए।।