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ashish ashu yadav

Romance Fantasy

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ashish ashu yadav

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गजब का इश्क आजकल हमसे करने लगी

गजब का इश्क आजकल हमसे करने लगी

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गजब का इश्क आजकल हमसे करने लगी।    

नजर झुका कर अब हमसे बात करने लगी है।   

याद आती है मुझे उसके व्हाट्सएप पर जाता हूं,  

जब देखो जब उसे ऑनलाइन मैं पाता हूं,     

बातें बहुत करना है मुझको

छोटा सा रिप्लाई देती है मुझको,

समझता हूं तो बिजी होगी शायद वो,    

डीपी पर मैं जाकर ज़ूम में करता हूं,         

उसकी तस्वीरों से मैं यार बातें मैं करता हूं,      

गजब का इश्क आजकल वह हमसे करने लगी है,

नजर झुका कर अब हमसे बात करने लगी है,    


सुबह से शाम हो जाती है,                 

तब जाकर अपनी झलक दिखाती है,।         

चंदा सा मुखड़ा को पल भर में वह छुपाती है

मोहब्बत में अब करने लगा हूं ,

उसके लिए जग से लड़ने लगा हूं,                        

खुद को मैं अब समझाने लगा हूं,

पैसे अब मैं बचाने लगा हूं,

खुद ना खाता उसको खिलाता।       

उसके लिए कंगना भी लाता,

अब दिल से लगाता अपना बनाता ।                      

बिखरी उसकी जुल्फें अपने हाथों से सजाता,

उसकी आंखों में डूब कर मर जाता,              

गजब का इश्क आजकल हमसे करने लगी,

नजर झुका कर अब हमसे बात करने लगी है


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