घर बैठे बैठे(लॉक डाउन)
घर बैठे बैठे(लॉक डाउन)


घर में बिठा कर समय ने एक
नया सबक सिखाया है...
बुरा नहीं बीता अपनों के संग
जो वक्त बिताया है...
अपनों ने अपना बनकर क्या
खूब साथ निभाया है...
तपती दुपहरी में आकस्मिक ही
बादल ने प्रेम सुधा बरसाया है...
मृतप्राय सा हो रहा था जीवन
बदल कर रहन सहन हमने
नव जीवन पाया है...
अब तक रिश्तों को बोझ समझ कर
निभाया था...
आज रिश्तों का मोल समझ कर
दिल से अपनाया है....
घर बैठे बैठे हमने अपने लिए भी कुछ
पल चुराया है...
रूठे हुए सपनों को मना कर उनको
साकार बनाया है...
समय ने समय के साथ चलना और ढलना
सिखलाया है...
घर में बैठे बिठाए भी बिना कुछ खोए
हमने बहुत कुछ पाया है...ll