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Sushma Singh_24

Abstract

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Sushma Singh_24

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अनुत्तरित प्रश्न

अनुत्तरित प्रश्न

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मेरी बेटी मुझसे बोली... 

माँ ! मैं हूँ तेरी परछाई 

फिर क्यूँ कहते है लोग? 

बेटी होती है पराई l

        

उसकी भोली बातें सुन... 

मेरी आँख भर आई, 

उसको कैसे समझाऊं...     

जो खुद ना समझ पाई l


तुम्हें पाकर मैंने जीवन की... 

सबसे बड़ी खुशी है पाई l

तुम मे मुझे अपना ही, 

अक्स देता है दिखाई l

  

पर दिल ना भी माने तो...

फिर भी यही है सच्चाई 

पता नहीं किसने ऐसी 

रीति है बनाई !

   

कोई भी बेटी चाहकर भी 

अपने माँ बाप के लिए... 

कुछ ना कर पाई... 

ये सोच मेरी आँख भर आई... 

मैं भी कहाँ अपने माँ के पास 

रह पाई...!!!!

            

       

   


 


             



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