Ghazal
Ghazal
मेरा किसी से कोई भी रिश्ता नहीं
मतलब जो भी मेरा है वो मेरा नहीं
ये खुशियां आख़िर में तो ग़म ही देती हैं
टेबल पे वो कांटा है गुलदस्ता नहीं
कैसे हो पाए उनके घर बरकत भला
जिनके भी घर में कोई इक बिटिया नहीं
मुझसे जुदा होना भी मर्ज़ी है तिरी
ये रोना मेरा है तिरा रोना नहीं
इस ईद पर सब दोस्तों ने मिलना है
और बक्से में इक भी नया कुर्ता नहीं
सब रोना रो देते हैं सबके सामने
रोना ये है रोना कभी दिखता नहीं।