गांव वालों को
गांव वालों को




बेघरों को तो छांव मिल ही जाती है,
वो कहां दरबदर होते हैं।
भटकते वो हैं ख्वाहिशों के बोझ लिए
गांव में जिनके घर होते हैं।
गांव वालों को अपनी तहजीब पर
वाजिब गुरूर होता है।
आँचल फटा ही सही लेकिन
सिर पर जरूर होता है।
बेघरों को तो छांव मिल ही जाती है,
वो कहां दरबदर होते हैं।
भटकते वो हैं ख्वाहिशों के बोझ लिए
गांव में जिनके घर होते हैं।
गांव वालों को अपनी तहजीब पर
वाजिब गुरूर होता है।
आँचल फटा ही सही लेकिन
सिर पर जरूर होता है।