गाँव बीच में बसा तलैया
गाँव बीच में बसा तलैया
वैशाख मास की कड़ी धूप,
भीषण ताप की कठिन मार।
सजनी और श्यामा भैसें भी,
व्याकुल हो भागी घर से बाहर।
गाँव बीच में बसा तलैया,
पानी से भरपूर लबालब था।
दोनों सखी कूद मझधार में पहुँची,
घर से भागने का न रंचमात्र गम था।
जी भर कर पानी में बैठीं,
चेहरे पर गजब की शांति थी।
संतुष्ट आँखों से एक दूसरे को निहार,
दुनियादारी से कोसों दूर थीं।
तभी अचानक मालिक जी आये,
आवाज लगायी बड़ी जोर से।
दोनों सखियों ने एक न सुनी,
मुँह फेर लिया उस ओर से।
एकाएक मालिक जी कूदे,
गलबहियाँ डाल उनको ले झूमे।
अब तो आ जाओ महिषा रानी जी ,
रोज नहलाऊँगा ठंडे पानी से जी।
