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Kusumlata Chandak

Others

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Kusumlata Chandak

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कहमुकरी

कहमुकरी

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जिसकी खुशबु मन को मोहती,

इन्तजार में पलकें बिछाती,

आते ही अधरों से चूमती,

ऐ सखि साजन? न सखि आम।


बड़ी सुबह नींद से जगाता,

देर होने पर शोर मचाता,

जगने पर वह चुप हो जाता,

ऐ सखि साजन? न सखि अलार्म।


उसकी मुस्कान से खिल जाती,

रूठ जाने पर उसे मनाती,

उसके बिना नींद नहीं आती,

ऐ सखि साजन? न सखि सन्तान।


दिन-रात तन से चिपकाती

सुन्दरता पर उसकी रीझती,

साथ उसे मैं हर पल रखती,

ऐ सखि साजन? न सखि साड़ी।


मीठी-मीठी उसकी बोली,

कानों में मिश्री सी घोली,

श्याम वर्ण पर उसकी रीझी,

ऐ सखि साजन? न सखि कोयल


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