कहमुकरी
कहमुकरी
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जिसकी खुशबु मन को मोहती,
इन्तजार में पलकें बिछाती,
आते ही अधरों से चूमती,
ऐ सखि साजन? न सखि आम।
बड़ी सुबह नींद से जगाता,
देर होने पर शोर मचाता,
जगने पर वह चुप हो जाता,
ऐ सखि साजन? न सखि अलार्म।
उसकी मुस्कान से खिल जाती,
रूठ जाने पर उसे मनाती,
उसके बिना नींद नहीं आती,
ऐ सखि साजन? न सखि सन्तान।
दिन-रात तन से चिपकाती
सुन्दरता पर उसकी रीझती,
साथ उसे मैं हर पल रखती,
ऐ सखि साजन? न सखि साड़ी।
मीठी-मीठी उसकी बोली,
कानों में मिश्री सी घोली,
श्याम वर्ण पर उसकी रीझी,
ऐ सखि साजन? न सखि कोयल
