गांधीजी की व्यथा
गांधीजी की व्यथा
कोई तो मुझसे पीछा छुड़ाओ,
कब तक बोएंगे कितने गांधी,
आज आजादी के इतने सालो के बाद भी,
पूरे देश में गांधी ही गांधी!!!
जेब में हाथ डालो तब मिले गांधी
राजमार्ग का नाम पूछो वह भी गांधी!!
मोहल्ला परिसर, मैदानों, बगीचे
ग्राम, नगर, शहर उपवन
कुछ और ना मिला तब गांधी ही गांधी!!
चरखा चला के सूत कांती,
इनसे बनायी एक खादी,
बीना सूत के चरखे चलाकर
अब मिल रही है गद्दी और गाड़ी!!
दीन दीन ही रहा, ना मिली उन्हें आजादी
जीना मुझे था दिल के भारत में
आज सवा सौ साल बीतने पर भी
मेरा जन्मदिन हो या मरणदीन
मुझे मिली सिर्फ सत्तर की आंटी!!
हे राम! यह कैसी दिलायी मैंने आजादी!!
