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Shelly Gupta

Abstract

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Shelly Gupta

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गांधी जी के तीन बंदर

गांधी जी के तीन बंदर

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बनके गांधी जी के तीन बंदर

बच्चे बन गए मस्त कलंदर

इधर उधर घूम फिर कर

मचाए घर में बवंडर


कहने को है आंखें मीची

चोरी छुपे खाते हैं लीची

पूछो कहां गई सब लीची

भाग जाते हैं करके खी खी


दिखा रहे बंद करके कान

सारी बातें सुनते शैतान

दादी को सारी बात बताते

मुझे खूब डांट पड़वाते


किसने तोड़ी अचार की बरनी

किसने खाई मिठाई और फिरनी

पूछो तो मुंह पर रख कर हाथ

मौन व्रत की बनाए बात


हाथ जो आए मेरे ये बंदर

सीधा करके सबको बनूंगी सिकंदर

रह जाता दिल में ये अरमान

बना कर निकल जाते ये मुझे छछूंदर।


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