एक सपना
एक सपना
मोहब्बत में मंज़िल से आगे
एक दुनिया का सपना देखा है,
मेरी नीलम सी आँखों ने।
आधी रात के एक पहर को,
चुनकर चलते हैं वो सपना
बादलों के उस पार
थामे हाथ एक दूजे का।
शांत झील का मंज़र हो
चाँद झूमर सा टंगा
रात की ठोड़ी पर झूलता हो,
तारे मखमली रुई सी
धवल बादलों की चद्दर पर
नगीने से झिलमिलाते
रोशनी भरते हमारी राहों में
जगमगाते हों।
तोड़ लूँ मैं तुम्हारे पीठ पर लदी
आसमान की रंगीनियाँ,
भर लूँ अपनी ज़िंदगी में
वो सारे रंग,
एक घरौंदा
अपनी बेपनाह चाहतों की नींव से
बाँधे चलो,
इस रश्क में जलती दुनिया से दूर।
मेरा प्यार तुम्हारे इश्क का सजदा करे
तुम बना लो मोहब्बत की मूरत मुझे,
मैं चुन लूँ तुम्हें खुदा अपना
दिल की हसरतों से सजा
ऐसा कोई जहाँ बसा लें चलो,
तुम मेरे दिल में रहो मैं तुम्हारी रूह में बसूँ
पा लें पूरी कायनात की खुशीयाँ वहाँ,
जहाँ हम दोनों के सिवा कोई ना हो।।

