एक पत्र जो लिखा
एक पत्र जो लिखा
उड़ चले कुछ मुरझाएँ पन्ने
जब खोली वो पुरानी किताब मैंने
कब से दबे हुए थे वो खत इस किताब में
जैसे कोई दिल समेटे हो कितने अहसास खुद में।
जब पीले पन्नो पे लिखे अल्फ़ाज़ पढ़े
तब लगा ये राज़ बड़े पुराने से थे
कुछ अहसास जो दिल से आये थे
उन्हें बड़े प्यार से कागज़ पे उतारे थे।
ये साेचकर कि खत के अल्फाज़ सारे
बयान करेंगे हमारा हाल ए दिल उनसे।
पर बंद रह गया वो खत उसी किताब में
दब गया हर एक अहसास दिल के मकान में।
जो कहना था उनसे कभी कहा नहीं
एक पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।
