एक मसीहा --अम्बेडकर
एक मसीहा --अम्बेडकर
यह बात है उस समय का
जहा चल रहा था प्रथा छुआछुत औऱ भेदभाव का ।।
यह था एक बीमारी
जो दलितो पर पड़ता था भारी ।
लोगो ने बनाये थे भगबान के नाम से लोगो मे भिन्नता
हा में बेल रहा हूं बात यह अन्याय कर्म का।
यह जात प्रथा फेलाथा हर जगह
दलित का जीबन बनता नर्क हर सुबह ।।
दलित को अछूत मनके रखते थे उन्हें दूर
दलित सिर झुकाए करता उनका काम रखे मनमे दुख: ।।
चला गया जीबन कितने महापुरुषों की
लिख गए किताब उसको मिटने की।
है रचा कुप्रथा जो इस समाज बालो के
कहे ज्योतिबा (फुले) जरूरी हैउसको मिटाने के।
दिन था 14 अप्रैल 1891 का
जन्म हुआ था महाराष्ट्र में एक मसीह का।
कक्षा में बैठते थे उसको अलग
प्रतिभा भी उसका था सबसे अलग।
पढ़ा लिखा में था व सबसे होनहार
बुद्धि था उसका सबसे चमत्कार ।।
बचपन से व करता था संघर्ष
बनना चाहता था व समाज का रक्षक ।।
दिए व रोशनी अन्धकार को
लाखो सलाम उस बाबासाहेब अम्बेडकर को।
पढ़के न्याय व किया सबका समाधान
लिख गाये व हमारा भारत का संभिधान ।।
उनका संभिधान है महान
उनके लिए मिला दलितों को सम्मान।
दिया व अधिकार दलितों को,महिलाओं को ।।।
वहा दिए गंगा मुक्त धार का
कर दिए निर्माण नव भारत बर्ष का।
है व अब हमारा भगबान
सर्बदा करेंगे उस दलित राजा का सम्मान ।।
देके व सबको समान अधिकार
राहेगये व सबके दिलों में अमर।
नया भारत मिला सबको उनके ही बरदान में।
आज हर जग गूंज रहा है जय भीम के नारों में जय भीम के नारों में ।।
