एक है दुनिया
एक है दुनिया
ज्ञानी लोग कहते हैं
कि एक है दुनिया
मगर हमने तो देखा है कि
सबकी अपनी अपनी
होती है दुनिया।
अरमानों की दुनिया
अफसानों की दुनिया
अहसासों की दुनिया
जजबातों की दुनिया
ख्वाहिशों की दुनिया
ख्वाबों खयालों की दुनिया
सपनों की दुनिया
प्रेम की दुनिया
नफरतों की दुनिया
बेइमानी की दुनिया
विश्वासघात की दुनिया
हसरतों की दुनिया
खुशियों की दुनिया
गमों की दुनिया
रिश्ते-नातों की दुनिया
औरतों की दुनिया
मर्दों की दुनिया
बच्चों की दुनिया
कहानियों की दुनिया
सिनेमा की दुनिया
धारावाहिकों की दुनिया
खबरों की दुनिया
अफवाहों की दुनिया
चुगलखोरी की दुनिया
लगाई बुझाई की दुनिया
अपराधों की दुनिया
कानून की दुनिया
राजनीति की दुनिया
नौकरशाही की दुनिया
विचारों की दुनिया
व्यवहारों की दुनिया
सबके दिलों में बसने वाली
अलग अलग सी दुनिया।
और भी तरह तरह की
सबकी अपनी अपनी दुनिया।
इतनी सारी दुनिया हैं
फिर भी क्यों कहते हैं।
कि एक है दुनिया ।
ईश्वर ने एक ही बनाईं है दुनिया
मगर इंसान ने ?
खंड खंड कर दी है दुनिया
जाति धर्म में बंटी दुनिया
भाषा प्रांत में लिपटी दुनिया
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अगड़ी पिछड़ी दुनिया
विकसित विकासशील दुनिया
भूखे नंगों की दुनिया
अमीरों की दुनिया
इतनी अधिक है दुनिया
भला एक कहां है दुनिया ?
प्लीज़,
फिर ना कहना
कि एक है दुनिया।