दुनियां का दस्तूर है यारों
दुनियां का दस्तूर है यारों
काशी कविता मंच
दुनिया का दस्तुर हैं यारों
देकर गम अपने को ही
अपने मुस्कुराते हैंं
सब को कोई ना को
तकलीफ़ हैं कोई कह देता हैंं
तो कोई छुपा लेता हैं
मगर दूसरे के सामने आते ही
झूठी मुस्कुराहट का चादर
चेहरे पे ओढ़ लेता हैं
इंसान जो अपने होते हैं
वो समझ जाते हैं,पराए भी कई बार
अपने से बढ़ कर हो जाते हैं
वरना हर कोई कहा साथ निभाते हैं
वो पहचान लेते हैं
बिन कहे दिल का हाल जान लेते हैं
वरना साथ यू ही छोड़ जाते हैं ,
लोग तो यहा अपना कहने वाले *खून* के *रिश्ते*
क्योंकि दुनिया का यही दस्तूर हैं यारों..।
हर कोई अपने अपनों से दूर हैंं
यारों तर्की में हर कोई आज मगरुर हैं..।
रिश्ते वोही जुड़ते हैंं जहा लोगों की जेब भड़ी हैंं
वर्ना खंकते सिक्के की तो उम्र भर
जंग जारी हैं सच्चे रिश्ते निभाने की ..!
Rk_karn अनकही सी बातें💙