हम कोई ज़िक्र नहीं चाहते
हम कोई ज़िक्र नहीं चाहते
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हम कोई ज़िक्र नहीं चाहते पर लोग शुरुआत कर देते हैं
इतना वक्त लगता है संभलने में लोग फिर वही हालात, कर देते हैं
दिल दुखता है जिससे हमारा सब वही बात कर देते हैं
हम कोशिश करते हैं नए सवेरे की लोग दो पल में, रात कर देते हैं
ख़ुद पर जब होने लगता है यकीन लोग हमें ख़ुद के खिलाफ़ कर देते हैं