दस्ताने जिंदगी
दस्ताने जिंदगी
हम निकले तो थे राह में मगर जा नहीं सके
लौटना पड़ा बीच दोहराये पे ही
हम आपके पास आ ना सके ,
उम्रभर की जुुुदाई का आलम
फिर भी मजबूरी से हारना है हमें
इंसानो की ही बस्ती में शायद प्यार बुरी बला है ।
आँखों मे हजार दर्द लेके कटाना पड़े जिंदगी
फिर भी हम अपने तरह से ना जी पाए जिंदगी ।
खामोश कब तक रहे बेजुबाँ तो है नहीं
शायद कभी छलक जाये ज़ुबाँ से
हमारे मन की छिपी सब नाराज़गी ।।
