"दोस्ती"(एक पवित्र बंधन)
"दोस्ती"(एक पवित्र बंधन)
बाँट लेंगे आधे आधे आँसू
एक ये भी वादा करता हूँ...।
मेरी मुस्कान भी मैं अब
तेरे लबों के नाम करता हूँ...।।
तू दे देना दर्द अपने सारे मुझे
मैं खुशियों की लहर तुम पर करता हूँ...।
बस नाम की ही नहीं दोस्ती
अपनी, ये जान भी अब मैं तेरे नाम करता हूँ...।।
थोड़ी थोड़ी शैतानियाँ करने दे
इस मासूम से दिल को...।
दोस्ती में भूल जाने दे
उन बड़ी बड़ी जवाबदारियों को...।।
साजिशें तो बहुत करेंगे जमाने वाले
हम दोनों में आग लगाने की...।
समुन्दर की गहराई सी,
दोस्ती होगी हमारी वफादारी की...।।
जहाँ हो कोई मतलब
ऐसी दोस्ती के कोई मायने नहीं...।
जहाँ हो प्रेम की भावना
तो वहाँ दोस्ती से पवित्र बंधन कोई नहीं...।।
दोस्ती की डोर बंधी है
विश्वास के एक एक धागे से...।
कैसे टूटने दूँगा कानों में
घुलने वाले जहर से...।।
