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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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दोहा - बाबा तुलसीदास

दोहा - बाबा तुलसीदास

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पिता आतमा राम थे, हुलसी जिसकी मात। उनसे गोण्डा को मिला, है सुधीर सौगात।। सरयू के उस पार है, तुलसी की ससुराल। माँ हुलसी का मायका, कचनापुर है भाल।। अवधी में मानस लिखा, किया श्रेष्ठ शुभ काम। अमर बने तुलसी तभी, हुआ विश्व में नाम ll गुरु नरहरि के शिष्य थे, बाबा तुलसीदास। लिखकर मानस ग्रंथ को, जगा दिया विश्वास।। पसका सूकरखेत में, गुरु नरहरि का धाम। गोण्डा से कुछ दूर पर, चर्चित है यह नाम।। नरहरि जी से था सुना, राम नाम का सार। सूकर-भू में था मिला, तुलसी को आधार।। जन्म भूमि गोण्डा रही, या बांदा को मान l रामचरित जिसने लिखा, कर सुधीर सम्मान।। सुधीर श्रीवास्तव


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