STORYMIRROR

Anurag Pandey

Abstract

2  

Anurag Pandey

Abstract

दिल परेशान है

दिल परेशान है

1 min
114

दिल परेशान है और हैरान है,

तुमको जीना ना आये तो मैं क्या करूं।

मैयकदे में थी साकी यूं बिखरी हुई,

तुमको पीना न आए तो मैं क्या करूं।

ज़ख़्म सीने के यूं ही थे उभरे हुए,

तुमको सीना न आए तो मैं क्या करूं।

अश्क आंखों से यूं इस तरह बह रहे,

तुमको पीना न आए तो मैं क्या करूं।

दोस्त की दोस्ती में कोई खम न था,

हो गए बेवफा तुम तो मैं क्या करूं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract