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Mahendra Garg

Abstract

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Mahendra Garg

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ध्यान धरूं मां

ध्यान धरूं मां

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322


विषय सरस्वती वंदना 

शीर्षक ध्यान धरूं मां


शीश नवाय ध्यान धरूं 

नमन मेरा करो स्वीकार 

प्यार आशीर्वाद दो मैया

 पाऊं तुम्हारा आशीर्वाद।।


 सबके दुख दर्द मिटाऊँ

इस कविता में प्रीति लगाऊं

इस कविता में मैया मेरी

भरो वीणा की झंकार

पाऊं तुम्हारा आशीर्वाद।।


प्रत्येक छंद बने मन भावी

सबके मन हरसाई

चारों ओर हो खुशहाली

पाऊं मैं तुम्हारा प्यार।।


धरती करे सिंगार चढ़ाऊं सुगंधित हार

 विद्या का दो अधिकार 

सरस्वती मैया सुन लो पुकार

पाऊं मैं तुम्हारा प्यार।।


मन के भावों से करूं मैं पुकार 

सरस्वती मैया सुन लो पुकार 

मिटाओ अज्ञान रूपी अंधकार 

पाऊं मैं तुम्हारा प्यार।।


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