धरती पर सैनिक रूपी ईश्वर
धरती पर सैनिक रूपी ईश्वर
धरती माँ की रक्षा करने सैनिक रूपी ईश्वर जन्म पाते हैं,
वो वीर अपना सारा जीवन भारत माँ के बच्चों की सेवा में लगाते हैं,
खातें हैं सीनें पर गोली दूसरों के लिये और मुख से उफ तक नहीं निकालते हैं,
हम देशवासी तो जरा-जरा से खतरों से घबरा जाते हैं,
लेकिन हमारे देश के फौजी तो बड़े-बड़े खतरों से भी हँस के खेल जाते हैं,
कभी-कभी लगता हैं इतना हौसला कहाँ से लाते हैं हमारे वीर,
स्वंय अपनी जान देकर भी दे जाते हैं हमारी सुन्दर तकदीर,
देश की सेवा में कर देते हैं अपना दिन-रात एक,
हमारे देश के सैनिक सच में होते हैं कितने नेक,
ईश्वर का रूप हर एक वीर सैनिक में झलकता हैं,
ऐसे वीरों की शहादत में हर एक देशवासी गर्व से उनके आगे झुकता हैं,
हमारे वीर सैनिक सरहद पर स्वंय रात भर जागकर हमें चैन से सुलाते हैं,
हमारे हिस्सें की गोली भी हमारे वीर अपने सीनें पर खाते हैं,
हमारें देश के वीरों से भी महान उनके घरवालें होते हैं,
उनके घर में सब बड़े दिलवाले होते हैं,
भेज देती हैं सैनिकों की माँ अपने लाल को देशवासियों की रक्षा करने खुशी-खुशी,
दिल में दुख का भण्डार लिये दिखाती हैं अपने लाल को अपनी हँसी,
अपनों की रक्षा के लिये तो सभी जीते हैं,
लेकिन जो दूसरों की रक्षा खुशी- खुशी करे ऐसे तो बस हमारें वीर-सपूत ही होते हैं,
धन्य हैं ऐसे धरती के लाल जिनका होता हैं कितना हृदय विशाल,
इन वीरों का कर्ज तो हम कभी चुका नहीं सकते,
और हमारे धरती के लाल अपनी धरती माता का सिर दुश्मनों के आगे कभी झुका नहीं सकते,
तभी हमारे वीर जवान मरकर भी शहीद कहलाते हैं,
हमारें वीरों की शहादत पर तो स्वंय ईश्वर भी गर्व के आँसू बहाते हैं।