Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

N K JAIN

Abstract

4.9  

N K JAIN

Abstract

धरती कहे पुकार के

धरती कहे पुकार के

2 mins
1.3K


लगती थी इक सुन्दर झांकी, पाई उपाधि धरती माँ की

दिया गया जितना सम्मान, उससे अधिक हुआ अपमान


पेड़, पौधे और खलिहान, ये सब थे मेरे उपकार 

सर्वनाश किया इन सबका, दिया प्रकृति को दुत्कार


सरिता और सरोवर भी, करुण पुकार लगाती थी

पर्वत की चोटी भी देखो, तुमको झुका नहीं पाती थी


सांस भी लेना दूभर था , फिर भी तू नाशुकरा था

मद में चूर, अभी भी देखो, क्या कुछ न कर गुजरा था


प्रकृति का कहर जो बरसा, तो सर्वोत्तम है शाकाहार

जान बचाने की खातिर, छोड़ा है अब मांसाहार 


आज हो गई मैं लाचार, करती हूँ इक करुण पुकार

अब जाकर माने हो तुम भी, सबको जीने का, है अधिकार


अपनी जान बचाकर देखो , छुप गए सब घर में आज

तुम सबकी दशा पे देखो , मुस्काता है पशु समाज


पशु पक्षी आजाद हैं देखो, तुम पिंजरे में चले गए

कैसा लगता है पिंजरे में, अब शायद तुम समझ गए


नए नए आयाम बनाकर, तुमने सबको हर्षाया है

अपने इन आयामों पर एक प्रश्न चिन्ह लगाया है


नहीं चाह कुछ भी पाने की , ना खोने का गम सताया है

प्रकृति ने एक ही वार में, सबको मजा चखाया है


नहीं कोई भी छीना झपटी, नहीं कोई भी लूटपाट

कहीं न फैले ये महामारी , सूने पड़े मंदिर और घाट


क्यों ऐसे हालात के लिए, तुमने मुझे उकसाया है

अपनी करनी का ही देखो, तुमने ये फल पाया है


सिर्फ मौत का भय ही है , जिसने तुमको दुबकाया है

प्रकृति के घाव भरण का, सही समय अब आया है


जैसी धरा का सपना अब तक, तुमने मन में सजाया है

आज उसी को अपने दम पे, नए सिरे से पाया है 


मनमोहक ठण्डी ये हवाएँ, मधुर कोई संगीत सुनाएँ

ऐसा लगता है मानो , धन्यवाद ये कहना चाहें


दिखने लगे हैं छत से तारे, आसमान में बांह पसारे,

दादी और नानी की कहानी, में ही थे सीमित ये सारे 


प्रगति पथ पर चलना तो तुम सबकी पहचान है

पर क्यों, तुम ये भूल गए, मुझसे ही ये जहान है


प्रकृति के आगे देखो , नतमस्तक विज्ञान है

तुम कहते जिसको महामारी, मेरे लिए वरदान है।

 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract