नारी शक्ति
नारी शक्ति
नारी शक्ति को ये समाज, क्या कभी समझ भी पायेगी ?
क्या कोई ऐसा दिन होगा ? ये नन्ही कलियाँ बच पाएंगी
भगवन आखिर क्यों सोचा ? तुमने नारी को बनाना
इस समाज में रहने का, जब नहीं था कोई ठिकाना।
किसी की पत्नी, किसी की जननी, कोई कहे इनको माता
फिर इन नन्ही कलियों पर, क्यों, तरस नहीं इनको आता ?
जो भाई राखी के दिन, वचन रक्षा का देते हैं
फिर क्यों अपने ही बेटों से ? उनकी बहन हर लेते हैं।
क्या जरुरी था विज्ञान को ? ऐसा अविष्कार करें,
लोग करें दुरूपयोग इसी का, फिर उस पर धिक्कार करें।
हर घर की ये नन्ही कलियाँ, कल के समाज की नारी हैं
पर इस समाज की क्षीण सोच से, लगती बोझ ये भारी हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश का, मिश्रित अवतार ये नारी हैं
इतनी ये कमजोर नहीं , जितना सोचे संसारी हैं
सर्वप्रथम गुरु हैं सबकी, फिर भी इसको सम्मान नहीं
सृष्टि इसके बिना नहीं, क्यों किसीको इतना ज्ञान नहीं ?
लड़का-लड़की के भेदभाव में, पिसती रहती नन्ही कलियाँ
इसी के चलते, दहेज़ प्रथा में, दी जाती इनकी बलियाँ
शिक्षा की देवी सरस्वती, शक्ति की दुर्गा नारी है
अन्नपूर्णा- लक्ष्मी को पूजें, बस दुर्दशा हमारी है
दुराचार, शोषण हमको, कमजोर बनाना तो चाहे
पर अपने सम्मान की खातिर, खोलनी होंगी नई राहें
वीरांगना लक्ष्मीबाई, थी साहस की अवतारी
उसकी तरह हममे भी है, इक छोटी सी झलकारी
अंतरिक्ष जाने वाली, थी कल्पना भी इक नारी
जिसके सम्मान में दुनिया अब , सर झुकाती है सारी
इस समाज में रहने को, नवयुग निर्माण हमें करना है
प्रगति पथ के गड्ढों को अपनी, आज़ादी से भरना है
जब स्त्री और पुरुष हैं दोनों, इस जग के आधार
फिर ये पुरुष हमें ही क्यों, समझे हैं बेकार।
फिर ये पुरुष हमें ही क्यों, समझे हैं बेकार।
