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Rishabh Sharma

Inspirational

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Rishabh Sharma

Inspirational

देख, ए ज़िन्दगी !

देख, ए ज़िन्दगी !

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देख, ए ज़िन्दगी !

गम के सताये हैं, फिर भी मुस्कुराए जा रहे हैं

आँँसुओं को छुपाकर आँँखों में

देख, ए ज़िन्दगी ! फिर भी तुझको जिये जा रहे हैं।

तुमने तो अक्सर कोई कसर ना छोड़ी हम पे सितम ढाने में, 

देख आज भी खड़े हैं, क्या हो गया अगर थोड़े से लड़खड़ाए हैं

देख, ए ज़िन्दगी ! फिर भी तुमको जिये जा रहे हैं।

जो भी था अपना तुमने कर दिया पराया पल भर में

हर एक मोड़ पे खुद को तन्हा पाए हैं

देख, ए ज़िन्दगी ! फिर भी तुमको जिये जा रहे हैं।

तुझसे कोई रोष नहीं बल्कि है मेहरबानी तेरी

क्योंकि तुमने ही सिखलाया

कौन अपने, कौन पराये होते जा रहे हैं ?

देख, ए ज़िन्दगी ! फिर भी तुमको जिये जा रहे हैं।

इतना हारा भी नहीं था जितना नकारा कर दिया तुमने

इतना बुरा भी कहाँ था जितना साबित कर दिया तुमने

दिल पे पत्थर रख के लबों को सीते जा रहे हैं

देख, ए ज़िन्दगी ! फिर भी तुमको जिये जा रहे है...।


[ ऋषभ शर्मा, ऋषभ डायरीज़ ]


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